Thursday, April 13, 2017

बाबा तुम्हारी याद मे

बाबा तुम्हारी याद मे
हम तो दिवाने हो गये,
दिलसे तो छोडो पर
दिमाख से पुरे सो गये!!

शिखाया था बाबा आपने
हमको तरिका जिनेका,
ओ जिना तो शिखा हमने पर
आपका तरिका ही भुल गये,
अपने माँ बापको ही भुल गये!

बाबा हम तो जी रहे आज
मनुवादियोकी चपेट मे,
उनकाही जहर निगल रहे
हर एक घोट मे,
नकारा था जिन्होने हमको,
नमक उनकाही आज
ले रहे हम पेट मे !

कैसे बताऊ बाबा आपको
शरम आती है बतानेमे,
हम आपके विचारो को छोडकर
नामके ही  दिवाने हो गये.
विचारो के अनुयायी के जगह
नामके ही भक्त बन गये!!

आपनेही कहा था बाबा
मट्टीपर नही खुर्चीपर बैठो,
खुर्ची तो ले ली बाबा हमने,
पर खुर्ची का मतलब ही नही समझे.
खुर्चीपर बैठकर खुलेआम
आपनेही लोगोंको लुट रहे!

समझायी थी बाबा आपने
जनतंञ मे किम्मत ओट की,
एकही चिज है बडे काम की.
उसको मजबुत बनाने को
हक्कसे बोला था आपने,
अहमियत जानो ओट की,
समझ तो गये बाबा आपका,
पर उसकोही बेच के  हम
कमाने लगे रोजीरोटी रोजकी..!!

उध्दार करने बहुजनो का बाबा,
एक ही तो था आपका नारा.
जनतंञ ही है मंञ हमारा.
जनतंञ ने घेर लिया देश सारा
पर नही पा सके हम अधिकार हमारा...
-----------------------------------

डॉ .प्रभाकर लोंढे  गोंदिया-चंद्रपूर

No comments:

Post a Comment