बाबा तुम्हारी याद मे।।।।
बाबा तुम्हारी याद मे
हम तो दिवाने हो गये..
दिलसे तो छोडो पर
दिमाखसे पुरे सो गये।।।।।
शिखाया था बाबा आपने हमको तरीका जिने का..
ओ जिना तो शिखा हमने...
पर आपका तरीका ही भुल गये रोजी रोटी की चक्कर मे
अपने माँ बापको ही भुल गये।।।।।।
बाबा, हम तो जी रहे आज..
मनुवादियो की चपेट मे.
उनकाही जहर निगल रहे
हर एक घोट मे..
नकारा था जिन्होने हमको... नमक उनकाही आज
ले रहे हम पेठ मे।।।
कैसे बतावु बाबा आपको
शरम आती है बताने में
हम आपके विचारो को छोड़कर
नाम के ही दिवाने हो गये।
विचारों के अनुयायी के जगह
नाम के ही भक्त बन गए। ।।
आपने तो कहा था बाबा
मट्टीपर नहीं खुर्चीपर बैठो
खुर्ची तो ले ली बाबा हमने
पर खुर्ची का मतलब नहीं समझ पाये
खुर्चीपर बैठकर खुलेआम
अपने ही लोगों को लुट रहे।।।।
समझायी थी बाबा आपने
जनतंत्र में किम्मत अोट की
एकही चिज है बडे काम की
उसको मजबूत बनाने को
हक्कसे बोला था आपने
अहमियत जानो ओट की
समझ तो गये सब आपका पर उसको ही तो बेच के
कमाने लगे हम रोजी रोटी रोज की।।।
उद्धार करने बहुजनो का
एक ही तो था आपका नारा,
जनतंत्र ही है मंत्र हमारा
जनतंत्र ने घेर लिया देश सारा पर नहीं पा सके हम अधिकार हमारा।।।।।
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डॉ प्रभाकर लोंढे , गोंदिया-चंद्रपूर
बाबा तुम्हारी याद मे
हम तो दिवाने हो गये..
दिलसे तो छोडो पर
दिमाखसे पुरे सो गये।।।।।
शिखाया था बाबा आपने हमको तरीका जिने का..
ओ जिना तो शिखा हमने...
पर आपका तरीका ही भुल गये रोजी रोटी की चक्कर मे
अपने माँ बापको ही भुल गये।।।।।।
बाबा, हम तो जी रहे आज..
मनुवादियो की चपेट मे.
उनकाही जहर निगल रहे
हर एक घोट मे..
नकारा था जिन्होने हमको... नमक उनकाही आज
ले रहे हम पेठ मे।।।
कैसे बतावु बाबा आपको
शरम आती है बताने में
हम आपके विचारो को छोड़कर
नाम के ही दिवाने हो गये।
विचारों के अनुयायी के जगह
नाम के ही भक्त बन गए। ।।
आपने तो कहा था बाबा
मट्टीपर नहीं खुर्चीपर बैठो
खुर्ची तो ले ली बाबा हमने
पर खुर्ची का मतलब नहीं समझ पाये
खुर्चीपर बैठकर खुलेआम
अपने ही लोगों को लुट रहे।।।।
समझायी थी बाबा आपने
जनतंत्र में किम्मत अोट की
एकही चिज है बडे काम की
उसको मजबूत बनाने को
हक्कसे बोला था आपने
अहमियत जानो ओट की
समझ तो गये सब आपका पर उसको ही तो बेच के
कमाने लगे हम रोजी रोटी रोज की।।।
उद्धार करने बहुजनो का
एक ही तो था आपका नारा,
जनतंत्र ही है मंत्र हमारा
जनतंत्र ने घेर लिया देश सारा पर नहीं पा सके हम अधिकार हमारा।।।।।
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डॉ प्रभाकर लोंढे , गोंदिया-चंद्रपूर
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