Monday, July 25, 2016

सत्यधर्म
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जगी असावा एकची
माणूसकीचा धर्म
सत्याने वर्तावे
हेच त्याचे मर्म ....

सत्य हाच देव
मानावा सदैव
असा ज्याचा भाव
त्याचाच खरा देव ......

देव नाही दगडी
बदलावा मनोभाव
देवाचा सहवास
मनालाच ठाव.......

जाणून ब्रम्हांड
सोडा सर्व पाखंड
होतील सर्व थंड
जगातील धर्ममार्तंड.

एकची पिता परमेश्वर
सांगी सर्व धर्म
आचरावा सर्वांनी
सार्वजनिक सत्यधर्म.........

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डाँ . प्रभाकर  लोंढे. गोंदिया-चंद्रपूर
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